medicine : एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर और अन्य आवश्यक सत्तर दवाओं के मूल्य में कमी होने वाली है

पेनकिलर-एंटीबायोटिक्स सहित सत्तर medicine दवाओं की लागत कम होगी सरकार एनपीपीए को नियंत्रित करती है, जो विभिन्न बीमारियों के लिए आम लोगों द्वारा उपयोग की जाती है। एनपीपीए बैठक में चार बजट प्रस्तुत करने के दो सप्ताह के बाद ही सरकार ने आम जनता को महत्वपूर्ण राहत दी है। अब आम लोगों के लिए बीमारियों का इलाज सस्ता है। क्योंकि एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर और अन्य आवश्यक सत्तर दवाओं के मूल्य में कमी होने वाली है.

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नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने हाल ही में एक बैठक में यह निर्णय लिया कि आम लोगों को राहत मिलेगी। इस फैसले को भी सूचित किया गया है। एनपीपीए विभिन्न बीमारियों की दवाओं को नियंत्रित करता है। एनपीपीए ने बैठक में चार विशेष और सत्तर दवाओं की कीमतें घटाने का निर्णय लिया है।

70 दर्द निवारक दवा

एनपीपीए की बैठक ने 70 दर्द निवारक दवाओं (बुखार, एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर, डायबिटीज, मांसपेशियों के दर्द, इन्फेक्शन, डायरिया, हार्ट, और जीवन शैली) की कीमतें कम कर दी हैं। इसके अलावा चार अलग-अलग दवाएं हैं।

जून महीने में भी सरकार ने कई आवश्यक दवाओं की कीमतें कम की थीं। NPP ने अपनी 124वीं बैठक में 8 विशिष्ट और 54 दवाओं के मूल्य में कमी की। ये दवाएं दिल, डायबिटीज, मल्टी विटामिन, एंटीबायोटिक और कैंसर जैसे रोगों के लिए दी जाती थीं।

सरकार दवाओं के मूल्यों को कम करेगी, जिससे देश के करोड़ों लोगों को काफी फायदा होगा। दैनिक रूप से करोड़ों लोग बीमारियों का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स से लेकर पेनकिलर खरीदते हैं।

लोगों को बड़ी राहत मिली, आज से इन 54 जरूरी दवाओं की कीमतें घटी

सरकार ने इलाज और दवा के खर्च से परेशानी झेल रहे करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी है। 54 आवश्यक दवाओं की कीमतें आज से घट गई हैं। डायबिटीज, हार्ट, कान की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के साथ मल्टीविटामिन आदि की कीमतें घट गई हैं। आम लोगों को इससे काफी राहत मिलने का अनुमान है।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की 124वीं बैठक ने कई आवश्यक दवाओं के मूल्यों को कम करने का निर्णय लिया। एनपीपीए देश में बिक रहीं आवश्यक दवाओं के मूल्यों का कम करने का निर्णय लिया।

डायबिटीज, हार्ट, एंटीबायोटिक, विटामिन डी, मल्टीविटामिन, कान से जुड़ी दवाएं सहित 54 दवाओं के मूल्य कम एनपीपीए ने इस बैठक में निर्धारित किए गए। साथ ही, एनपीपीए ने इस बैठक में आठ विशिष्ट विशेष उत्पादों के मूल्यों पर भी निर्णय लिया।

पिछले महीने कम हुए –

सरकार ने पिछले महीने कई आवश्यक दवाओं की कीमतें भी कम की थीं। पिछले महीने, आम इस्तेमाल की 41 दवाओं और छह विशिष्ट दवाओं की कीमतें घटाई गईं। पिछले महीने हृदय रोग, एंटीबायोटिक, मल्टी विटामिन और डायबिटीज दवाओं की कीमतें भी घटी थीं। पिछले महीने, पेन किलर, एलर्जी, गैस और एसिडिटी की दवाएं और लीवर की दवाएं भी सस्ती हुईं।

10 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ – 

एनपीपीए के इस फैसले से करोड़ों लोगों को लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए, देश में डायबिटीज के 10 करोड़ से अधिक मरीज हैं। दुनिया के किसी भी देश की तुलना में यह अधिक है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपनी नियमित दवाओं पर निर्भर रहना होगा। ऐसे में 10 करोड़ से अधिक डायबिटीज मरीजों को सीधे लाभ मिलने वाला है अगर लागत कम होती है।

एंटीबायोटिक्स का आँत पर क्या असर होता है, उनके लाभ और नुकसान –

  • माइक्रोऑर्गेनिज़्म, यानी सूक्ष्मजीव, जैसे वायरस और बैक्टीरिया, लोगों के पेट में भी होते हैं।
  • इनमें से कुछ भी लोगों की मदद करते हैं। वैसे ही जैसे बैक्टीरिया दूध से दही बनाने में मदद करते हैं।
  • हमारे शरीर में लाखों बैक्टीरिया हैं जो बिना उनके जीवित नहीं रह सकते, जिनमें से सबसे अधिक हमारी आंत में होते हैं।
  • गट, यानी आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया, हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभावी होते हैं।
  • ये भी प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) और पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) को सुधारते हैं।
  • हम भी जानते हैं कि तबीयत बिगड़ने पर लोगों को एंटीबायोटिक्स खाने की सलाह दी जाती है।
  • एंटीबायोटिक्स पिछले लगभग आठ दशक से संक्रामक रोगों से सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं।
  • इससे विश्व भर में बीमार होने की दर और बीमारी से मरने वालों की संख्या घट रही है।

यह एक दवा है जो लोगों और जानवरों को वायरस, बैक्टीरिया और अन्य जीवाणुओं से बचाता है। इसलिए एंटीबायोटिक्स को मूलतः माइक्रोऑर्गेनिज़्म को रोकने वाले एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स कहा जाता है।

जानकारों का क्या मत है?-

जानकारों का कहना है कि गट माइक्रोबायोम के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे बड़ा खतरा हैं। अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी ने एमबायो जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि “जब एक इंसान बीमार पड़ता है और डॉक्टर उसे एंटीबायोटिक्स खाने की सलाह देते हैं, तो एंटीबायोटिक्स प्रतिरोध के कारण उस एक सिंगल कोर्स से शरीर में पाए जाने वाले इन माइक्रोऑर्गेनिज़्म पर गंभीर असर पड़ता है और लगभग एक साल के लिए |

2000 से 2015 के बीच एंटीबायोटिक्स के वितरण में 65% की वृद्धि हुई है, वैज्ञानिक जर्नल प्रोसिडिंग्स ऑफ़ नैशनल एकेडमिक्स ऑफ़ साइंस में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार।

एंटीबायोटिक्स की मात्रा में बढ़ोतरी से दो महत्वपूर्ण समस्याएं पैदा हो रही हैं –

  • हमारे गट माइक्रोबायोम्स इससे प्रभावित हो रहे हैं।
  • बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधक बन रहे हैं।
  • अमेरिका में एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध की क्षमता बढ़ने से अस्पतालों में उपचार पर असर पड़ रहा है, मेडिकल न्यूज़ टुडे ने बताया।
  • USCDC ने दवाओं से प्रतिरोधी खतरों को तीन श्रेणियों में रखा है: बहुत ज़रूरी, गंभीर या चिंताजनक।
  • एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को भी नियंत्रित करने की अपील की गई है।

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